Saturday, October 31, 2009

आत्मचिंतन....

जिंदगी के इस मोड़ ने कहाँ ला खड़ा किया,
मेरे प्यारे से सपनों को इक पल मैं यूँ बहला दिया,
जिस तरफ़ से जा रहे थे उस तरफ़ से रुख मुड गया,
मेरा वो प्यारा सा सपना ना जाने कहा गुम गया.....

खोजा उसे कहाँ कहाँ नही,
खोजा उसे कहाँ कहाँ नही......
पर वो खोज नाकाफी थी,
सोचा मैंने शायद कही ये,
मेरी आपाधापी थी......
शिद्दत से संजोये उन ख्वाबों की,
मुझसे ये बेईमानी थी,
उनको भला क्यों मुझसे,
ऐसी कुछ परेशानी थी.........

अब इस बंज़र मैं फिर से हरियाली लानी होगी,
अब इस बंज़र मैं फिर से हरियाली लानी होगी......
नन्हे मुन्ने ख्वाबों की एक नई दुनिया सजानी होगी,
जो समय रहते बड़े होंगे, फल फूल से लदे होंगे,
उन्हें लेकर चलने के लिए इक नई डलियाँ सजानी होगी,
इक नई डलियाँ सजानी होगी......!!

1 comment:

  1. sapne to sapne hote hain.. gum hote hain fir mil jaate hain.. unki aapse koi narazgi nahi hoti.. ye to aapko motivation dene aate hai.. kuchh waqt aapke saath bitakar fir kuchh break ke baad aate hain.. dekhte jaiye sapne.. sajate jaiye apni duniya.. bhar ljiye rang zindagi me.. aur kar jaiye kuchh creative...

    yaar too good hai....
    very well written..
    thoughts bhi achhe hain...
    keep it going... :)

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