Monday, November 2, 2009

क्या कहूँ उन के बारे मैं.......??


क्या कहूँ मैं उनके बारे मैं,
कुछ कह नही पा रहा हूँ,
कहने को तो बहुत कुछ है,
पर कुछ हिस्सा उसका सुना रहा हूँ !

एक नादानको जिन्होंने चलना सिखलाया,
पगडंडियों से चलते हुए सड़क तक आना सिखलाया,
कांटे भरे पौधों से फूल चुनना सिखलाया,
ये जीवन उनका आभारी है,
ये जीवन जिन्होंने जीना सिखलाया...
क्या कहू मैं उनके बारे मैं......!

ये बात है मेरे परम पूज्यनीय,
सर्वदा वन्दनीय माता पिता की,
ये जीवन जिनका वरदान है,
जो मेरे लिए भगवान् हैं,

जिन्होंने मुझे बिस्तर दिया
चाहे ख़ुद जमीं पर सो लिए,
जिन्होंने मेरी भूख मिटाई,
चाहे ख़ुद भूखे रह लिए,
जिन्होंने मुझे खुशी पहुचाई,
चाहे ख़ुद दुःख मैं हो लिए....

मन मैं एक विश्वास लिए
की एक दिन मेरा बेटा
एक बहुत बड़ा ओदा पायेगा,
जो खुशियाँ हमने नही देखी,
वो खुशियाँ हमें दिखलायेगा !

ये ऋण अब मुझपे बनता है,
जो मुझको पुरा करना है,
उनकी खुशियाँ लौटने हेतु,
एक बड़ा आदमी बनना है!

अपने ये मन के उदगार,
चंद लफ्जों मैं आज उतार रहा हूँ,
कहने को तो बहुत कुछ है,
पर कुछ हिस्सा उसका सुना रहा हूँ,
क्या कहूँ मैं उनके बारे मैं........
क्या कहूँ..........??

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