Wednesday, November 4, 2009

मौत मेरे दोस्त......

है इक सवाल दोस्त मेरा तुझसे,
क्या रखा है इस दुनिया मैं,
जो जी रहा है तू यहाँ मर मर के,
चल संग मेरे इक नई दुनिया मैं....

क्या रखा है....
जलते सूरज की तपन मैं,
बर्फीली पहाडियों के कपन मैं,
सुनसान गुफाओं के घुटन मैं,
जंगल के भयानक अंधेरे मैं,
आजा मेरे संग ए दोस्त मेरे,
संग चल दिखाऊ दुनिया नई तुझे,
आजा अपने सपने यहाँ जी ले,
वो सपने जो कभी ना हो सके पुरे....

इक रंग बिरंगी दुनिया लाया हूँ,
दुनिया जो सिर्फ़ ख्वाबों मैं होती है,
मगर ये ख्वाब नही....बस सच्चाई है,
खुबसूरत मनमोहक और जादू भरी है....

मौत मेरे दोस्त....मैं आ नही सकता,
बहुत कुछ है बाकी करने को,
बहुत कुछ है अभी पाने को,
बहुत रास्ते है करने को,
दोस्त.....
अभी तो सूरज सिर्फ़ उगा है,
और रात तो बहुत दूर है,
अभी तो राह पर चलना शुरू किया है,
मौत मेरे दोस्त....
जिन्दगी तो अब शुरू हुई है !!

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