Tuesday, November 3, 2009

कभी अलविदा ना कहना......


कभी अलविदा ना कहना दोस्त
ना जाने कहाँ फिर मुलाकात होगी,
ख्वाबों मैं ही सही.....मुलाकात तो होगी,
बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी !

वो रेशम की डोर से बंधा friendship band,
रिश्तों मैं बंधने से....निभाने की आस तो होगी,
हमारी हँसी खुशी गम की तस्वीर वो डोर,
हम जाएँ कही भी...उसकी महक साथ तो होगी,
ख्वाबों मैं ही सही....मुलाकात तो होगी,
कभी अलविदा ना कहना दोस्त.....

फूलों की तरह दिल मैं बसाये रखना,
यादों के चिरागों को जलाये रखना,
लंबा है सफर...कभी आह! तो होगी,
क्वाबों मैं ही सही...हमारी याद तो होगी,
कभी अलविदा ना कहना दोस्त.....
कभी ना कभी मुलाकात तो होगी !

वो साथ गुजरे लम्हों की दौलत,
जज़्बात की दौलत...खयालात की दौलत,
कुछ पास हो न हो...
पास ये सौगात तो होगी,
ख्वाबों मैं ही सही...हमारी बात तो होगी,
कभी अलविदा ना कहना दोस्त.....
कभी ना कभी मुलाकात तो होगी !!

1 comment:

  1. कभी अलविदा ना कहना दोस्त.....
    कभी ना कभी मुलाकात तो होगी !!


    beautiful yaar...very well written :)

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