Monday, November 2, 2009

सोचता हूँ मैं.......


जब भी अकेले मैं होता हूँ तो,
तिनके सी महीन,
पत्थर सी मजबूत,
फूलों सी कोमल,
काँटों सी चुभने वाली हर बात को
सोचता हूँ मैं........!

अँधेरी गुफाओं मैं एक दिए की रौशनी,
जो मेरे जीवन के अंधेरों को अपने उजालों से
अनवरत तन्मयता से हर रही है,
काँटों भरे रास्तों को
अपनी कोमल आशाओं से भर रही है,
संघर्ष के हर आगाज पर
जीवन के हर मोड़ पर
होंसला देने को खड़ी है,
उस मृदुल सूक्ष्म रौशनी को
ह्रदय के हर कोने मैं टटोलता हूँ मैं,
जब भी ख़ुद से वाकिफ होता हूँ तो ऐसा
सोचता हूँ मैं........!

सोचता हूँ की,
अगर सपने देखने मात्र से साकार हो जाते है,
तो क्यों हम उनको नही देख पाते हैं ??
अगर कठिनाईयां परिश्रम से दूर हो जाती हैं,
तो क्यों हम उतना परिश्रम नही कर पाते हैं ??
क्यों हर बार अपने आपको बीच मजधार मैं फंसे हुए पाते है ?

उस मांझी की तरह जो,
अपने लक्ष्य पर तो निकल चुका है,
मगर घोर तूफानों के संगीनों मैं,
परिश्रम और साहस से भी,
लक्ष्य तक नही जा पा रहा है,
चट्टान की तरह मजबूत इरादों से भी,
उस बाधा को कुचल नही पा रहा है......

फिर भी मन मैं एक विश्वास की डोर है थामे,
की कभी न कभी तो वो इसे कुचल पायेगा,
अनवरत घोर परिश्रम से, पूरा ना सही,
थोड़ा तो पार कर पायेगा,
और शायद तब ही अपने लक्ष्य तक पहुच पायेगा.....
उसी मांझी का 'अंश...' अपने जीवन मैं देखता हूँ मैं,
जब भी ख़ुद से सामना करता हूँ तो ऐसा
सोचता हूँ मैं........!

सोचता हूँ की,
क्यों अपनों के होते हुए भी उनसे दूर है हम?
ख़ुद की ही दुनिया मैं मशगुल है हम,
क्यों ईर्ष्या और बेईमानी का रोग है हमें ?
क्यों अपने जख्म भरने से पहले,
दूसरों को जख्म दे देते हैं हम......

इस रावन की लंका मैं,
अपने राम को ढूँढता हूँ मैं,
जब भी ख़ुद से वाकिफ होता हूँ तो ऐसा
सोचता हूँ मैं.........
सोचता हूँ मैं.........!!

2 comments:

  1. yes true... we shud spend sometime alone.. thinking all those small n big things.. GUD THOTS...

    ek diya hi kaafi hota hai roshni karne ke liye.. us diye ki sookshm roshni bhi dil ko sukoon deti hai.. AGAIN NICE THINKING...

    majdhaar me fasoge nahi.. to pata kaise padega ki zindagi kya hai..

    apni manzil tak pahunchne ke liye... agar seedha sa rasta mil jayega to itna maza nahi aayega... us raaste ki baadhayein, toofaan, chattan.. yahi sab to raaste ko mazedaar banate hain.. aur manzil par pahunchne ka ehsaas bhi inhi se hota hai...

    OVERALL... it is really beautiful... and i really liked the way you have written this..
    "सोचता हूँ मैं.........!!" - really gud ... keep it going... :)

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  2. Thanks Koshish ji for your valuable comments....:)

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