Thursday, November 5, 2009

ऐ वक्त ज़रा थम जा......

ऐ वक्त ज़रा थम जा,
ज़रा ठहर जा.....
जी लेने दे ये चंद लम्हे,
लम्हे...जिसने दी है एक नई दुनिया मुझे,
जिनमें समाया मेरा स्वर्ग,
अनुभूति मात्र से जिसकी,
रूह तक होती कोमल मेरी !

चंद लम्हों की ये जिन्दगी,
एक नया सपना सजाये,
एक नई रौशनी लाये
आत्मा मैं मेरी....
अपनी गति रोक दे,
जी लेने दे ये नई दुनिया
संग उसके मुझे....

वो....जो इस पल सिर्फ़ मेरा है,
वही मेरी भोर की शाम,
वही मेरा नया सवेरा है,
ऐ वक्त ज़रा थम जा !
ज़रा ठहर जा !

इसमें समायी कई यादें,
यादें....जो शायद कभी वापस ना आए,
थोडी बहुत जो स्वर्ग की अनुभूति हुई है,
क्या पता, उसे भी अपने संग ले जाए ?
मत पूछ मुझसे की कैसे
मन्दिर है वो सपनों का,
दर्शन है जिनमें मेरे अपनों का,
इन पलों ने दी है कुछ खुशी..कुछ गम,
गम भी नही है एक अद्दभूद खुशी से कम !

ना पूछ मुझसे की क्या होगा मेरा,
अगर तू ले गया एक झटके मैं इनको,
जी भर भी ना जिया जिनको...
ऐ वक्त ज़रा थम जा !
ज़रा ठहर जा....
जी लेने दे ये चंद लम्हे
संग उसके...
ताकि मर सके ये 'अंश....' सुकू से,
ऐ वक्त ज़रा थम जा !
ज़रा ठहर जा !!

1 comment:

  1. hey... remembering me that song... from "Dilwale Dulhaniya Le Jayenge ...
    "ae waqt rukja thamja thaharja..wapas zara daud peechhe.... main chhod aai khud ko jahan pe..wo rah gaya mod peechhe..."

    nice yaar... :)

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